वो साथ होते तो सुधर भी जाते,
छोड़कर उसने हमे आवारा बना दिया !
सुन पगली तेरे से तो
मेरे दुसमन अच्छे है ,
जो हर बात पे कहते है,
तुझे छोड़ेगे नहीं !
मेरे ऐटिटूड में इतना करंट है,
की तू जल के ख़ाक हो जायेगी !
ये जो लडकियां मुझे BAD बॉय कहती है ,
शायद उन्हें ये नहीं पता की,
शहजादे कभी सुधरे हुए नहीं होते !
जैसे शेर की आहात
जंगल हिला देती है,
वैसे ही हमारे स्टेटस लोगो की
औकात दिखा देते है !
चाहे दुश्मन हो कितना भी पापी ,
उसके लिए हम अकेले ही काफी !
अगर प्यार से कोई
फूंक मारे बुझ जायेगे,
नफरत से तो बड़े बड़े तूफ़ान
बुझ गए मुझे बुझाने में !
मत लो मेरे सब्र के बाँध का इम्तेहान,,
जब जब ये टुटा है , तूफ़ान ही आया है !
तुम लौट कर आने की तकलीफ मत करना,
हम एक मोहब्बत दो बार नहीं करते !
जो मेरे मुक्कदर में है वो खुद चल कर आएगा,
जो नहीं है उसे अपना खौफ लाएगा !
खौफ तो आवारा कुत्ते भी मचाते है ,
पर दहशत हमेशा शेर की ही रहती है !
जिनके मिज़ाज़ दुनिया से
अलग होते है ,
महफ़िलो में चर्चे उनके
गज़ब होते है !
हम दुनिया से अलग नहीं,
हमारी दुनिया ही अलग है !
इज्जत दोगे तो इज्जत पाओगे,
अकड़ दिखाओगे तो हमारा
कुछ नहीं उखाड़ पाओगे !
बुरे है हम तभी तो जी रहे है
अच्छे होते दुनिया जीने नहीं देती !
हमारी शराफत का
फायदा उठाना बंद कर दो,
जिस दिन हम बदमाश हो गए
क़यामत आ जायेगी !
अगर कोई चुप है तो इसका मतलब ये नहीं
की उसे बोलना नहीं आता,
हो सकता है वो
थप्पड़ मारने में यकीन रखता हो !
हम बाजीराव नहीं जो
मस्तानी के लिए दोस्ती छोड़ दे,
अरे पगली हम तो
दोस्ती के लिए हज़ारो
मस्तानी छोड़ देंगे !
आज तक ऐसी कोई
रानी नहीं बनी,
जो इस बदमाश को
अपना गुलाम बना सके !
जुबां पर मोहर लगाना कोई बड़ी बात नहीं,
बदल सको तो बदल दो मेरे खयालों को।
जलजले ऊँची इमारत को गिरा सकते हैं,
मैं तो बुनियाद हूँ मुझे कोई खौफ नहीं।
मेरी सादगी ही गुमनाम में रखती है मुझे,
जरा सा बिगड़ जाऊं तो मशहूर हो जाऊं।
मिज़ाज में थोड़ी सख्ती लाज़िमी है हुज़ूर,
लोग पी जाते समंदर अगर खारा न होता।
हालात के कदमों पर समंदर नहीं झुकते,
टूटे हुए तारे कभी ज़मीन पर नहीं गिरते,
बड़े शौक से गिरती हैं लहरें समंदर में,
पर समंदर कभी लहरों में नहीं गिरते।
मेरे दुश्मन भी मेरे मुरीद हैं शायद,
वक़्त-बेवक्त मेरा नाम लिया करते हैं,
मेरी गली से गुजरते हैं छुपा के खंजर,
रुबरू होने पर सलाम किया करते हैं।
ज़र्रों मे रहगुजर के चमक छोड़ जाऊँगा,
पहचान अपनी दूर तलक छोड़ जाऊँगा,
खामोशियों की मौत गंवारा नहीं मुझे,
शीशा हूँ टूटकर भी खनक छोड़ जाऊँगा।
रहते हैं आस-पास ही लेकिन पास नहीं होते,
कुछ लोग मुझसे जलते हैं बस ख़ाक नहीं होते।
सूरज ढला तो कद से ऊँचे हो गए साये,
कभी पैरों से रौंदी थी यहीं परछाइयां हमने।
एक इसी उसूल पर गुजारी है जिंदगी मैंने,
जिसको अपना माना उसे कभी परखा नहीं।