दो रास्ते है जिंदगी के¸
दोस्ती और इश्क।
एक जाम से भरा
तो दूसरा इल्जाम से भरा
गरीबों की ख्वाहिश है¸
की खुदा मौत आ जाए¸
क्या पता कब कफन महंगा हो जाए
जरा तमीज से समेटना
बुझे दीयों को दोस्तो
अमावस के अंधेरे में
उन्होंने हमें रोशनी दी है।
रास्ते बदल गए हम यारों के¸
मगर रिश्ता आज भी वही पुराना है।
माना कि मुझे प्यार करना नही आता¸
यह बता तुझे दिल तोड़ना किसने सिखाया।
खामोश रहे¸ तन्हा बैठ ¸
याद करो उसको¸
तूने इश्क किया है¸
गुनाह छोटा नही है तेरा।
जिंदगी की राह तब आसान हो जाती है¸
जब परखने वाला नही
समझाने वाला हमसफर हो।
तुम्हारे लिए तुम से ही लड़ रहे है¸
ना जाने कैसी मोहब्बत कर रहे है।
टूटे हुए ख्वाब
और रूठे हुए अपने
बहुत तकलीफ देते है।
जहां पहुंचने में नासा को लगा जमाना¸
उस चांद पर हम शायरों का हर घड़ी होता है आना जाना।
तुम्हें हौसला है तो तुम उठा लो जनाजा प्यार का¸
मुझे अभी मेरे इंतजार पर यकीन बहुत है।
भीड़ सी हो गई थी¸ उसके दिल में¸
हुआ कुछ यूं कि फिर मैं निकल आया।
मोहब्बत दो लोगों के बीच का नशा है¸
जिसे पहले होश आ जाए वह बेवफा है।
खुद से भी खुलकर नही मिलते हम¸
आप क्या खाक जानते हो हमें।
खामोशी पसंद है मुझे बस इतना ही कहा था उसने¸
मैंने भी शोर करती हुई धड़कन ही रोक ली अपनी।
किसने चलाया यह तोहफे देने लेने का रिवाज¸
गरीब आदमी मिलने जलने से भी डरता है।
कुछ ऐसे हादसे भी जिंदगी में होते है¸
के इंसान तो बच जाता है मगर जिंदा नही रहता
अजीब दस्तूर है जमाने का¸
अच्छी यादें पेन ड्राइव में
और बुरी यादें दिल में रखते है।
कहते है कि हो जाता है संगत का असर¸
पर कांटों को आज तक नही आया महकने का सलीका।
पैसा हैसियत बदल सकता है
औकात नही।
दोहराई जाएंगे ना यह लम्हा अब कभी¸
सपनों में भी ना छूटेगा यह साथ अब कभी¸
मिलती है जिंदगी जब आप मुस्कुराए है¸
आंखों में हमने आपके सपने सजाए है।
एक कांच का टुकड़ा यह कहकर टूट रहा है¸
की किसी पत्थर ने उसकी हिफाजत का वादा किया था।
गम इसका भी नही है कि आप मिल ना सकोगे¸
दर्द इस बात का है कि हम आप को भुला ना सकेंगे।
जब जान देने को तैयार थे तो हजारों की भीड़ में भी
एक दुश्मन ना मिला¸
और आज जब मरने का शौक खत्म हो गया
तो अपने ही कब्र तक ले जाने को तैयार बैठे है।
हमें शायर समझ के यू नजरअंदाज ना करिए¸
हम नजर फेर ले तो तेरी चाहतों का बाजार गिर जाएगा
इश्क की अब आखरी नस्ले है हम¸
अगली पीढ़ी को बस जिस्मों की जरूरत होगी।
झूठी शान के परिंदे ही ज्यादा फड़फड़ाते है¸
वरना बाज़ की उड़ान में कभी आवाज नही होती।
तेरा नाम क्या लिख दिया रेत पर¸
फिर उम्र भर हवा से मेरी दुश्मनी रही।
जिसके लिए तुम मर रहे हो
वह किसी और के साथ हंस के जी रहा है
ऐसे जियो कि अपने मां-बाप को पसंद आ सको
दुनिया की पसंद तो पल भर में बदल जाती है।
मौत का कुछ पता नही इसलिए बात कर लिया करो ¸
क्या पता फिर याद करो और हम ना हो।
प्यार भी हम करें¸
इंतजार भी हम¸
मनाए भी हम
और रोए भी हम।
खुद की कीमत रखिए उतनी ही¸
जितनी अदा कर सकें¸
अगर अनमोल हो गए तो तन्हा रह जाओगे।
नशे की आदत तेरी आंखों ने लगाई है¸
वरना हम भी कभी होश में जिया करते थे।
शायरी का शौक मुझे बचपन से था¸
फर्क सिर्फ इतना है¸
तब सुनकर हंसता था
अब लिख कर रुलाता हूं।
अलग ही इज्जत है चाय में इलायची की भी¸
हर किसी के लिए नही डाली जाती।
उसका वादा भी अजीब था¸
कि जिंदगी भर साथ निभाएंगे¸
मैंने भी यह नही पूछा¸
मोहब्बत के साथ या यादों के साथ।
जब तक जिंदा हूं प्यार कर लो मुझसे¸
कुछ दिन बाद निकल जाना है मुझको।
नशा पिला के गिराना तो सबको आता है¸
मजा तो तब है कि गिरतों को थाम ले सकी।
ना यह नजरें मिली ना उनका दीदार हुआ ¸
ना जाने किस इत्तेफाक में हमको उनसे प्यार हुआ।
जिस दिन मुझे खो दोगे¸
उस दिन मुस्कुराते हुए भी रो दोगे।
काश फुर्सत ने उन्हें भी
यह खयाल आ जाए कि
कोई याद करता है
उन्हें जिंदगी समझकर।
कैसे कह दूं¸ बदले में कुछ नही मिला¸
सबक कोई छोटी चीज तो नही है।
कितनी जल्दी फैसला कर लिया जाने का¸
एक मौका भी नही दिया मनाने का।
बस जीने ही तो नही देगी¸
और क्या कर लेंगे यादें तेरी
नींद आ जाए तो सो भी जाया करो¸
यू रातों में जागने से¸
मोहब्बत लौटा नही करती।
शायरी वह नही लिखते है
जो शराब से नशा करते है¸
शायरी तो वह लिखते है
जो यादों से नशा करते है।
अब गिला क्या करना उसकी बेरुखी का¸
दिल ही तो था¸ भर गया होगा।
उतार फेंक दी उसने तोहफे में मिली पायल¸
उसे डर था छनकेगी तो याद आ जाऊंगा मैं।
शहर में पहले ही
इतना आतंक मचा हुआ है
और आप उसमें
काजल लगाकर बाहर निकलती हो
आज जिस धूप में सुकून है
कल इसी धूप में जलन होगी
तलब ऐसी की सांसो में समां लूंगा तुझे¸
किस्मत ऐसी के देखने को मोहताज हूं तुझे।
बड़े बेताब थे वह मोहब्बत करने को हमसे¸
जब मैंने भी कर ली तो उन्होंने शौक बदल दिया।
देख कर तुझे सिगरेट बुझा दी¸
और इस लड़के से कितनी इज्जत चाहिए तुझे।
सबके सामने हाथ पकड़ लेता है तुम्हारा¸
यह चूड़ी वाला एक दिन मार खाएगा मुझसे।
मैं हर रात सारी ख्वाहिशों को
खुद से पहले सुला देता हूं¸
हैरत की बात तो यह है कि
हर सुबह यह मुझसे पहले जाग जाती है.
फूल देखे थे जनाजे पर अक्सर मैंने
मगर कल शहर में फूलों का ही जनाजा देखा।
जब गिला शिकवा अपनों से ही तो¸ खामोशी ही भली¸
अब हर बात पर¸ जंग हो यह जरूरी तो नही।
यूं तो जिंदगी तेरे सफर से शिकायत बहुत थी¸
मगर दर्द जब दर्ज कराने पहुंचे
तो वहां कटारे बहुत थी
रात भर यह मोगरे की खुशबू कैसी थी?
अच्छा तो तुम आए थे¸
मेरी नींदों में।
तन्हाई की दीवारों पर¸
घुटन का पर्दा झूल रहा है¸
बेबसी से छत के नीचे
कोई किसी को भूल रहा है।
साथ साथ घूमते हैहम दोनों रात भर¸
लोग मुझे आवारा उसको चांद कहते है।
चख कर देखी है कभी तन्हाई तुमने¸
मैंने देखी है बड़ी ईमानदार लगती है।
तेरे जाने से कुछ बदला तो नही¸
रात भी आई थी
और चांद भी आया था
हां मगर¸ नींद नही।
नाराज हमेशा खुशियां ही होती है¸
गमों के कभी इतने नखरे नही रहे।
बिखेर बैठा हूं कमरे में सब कुछ
कहीं एक ख्वाब रखा था¸
वह भी गुम है
जो खानदानी रईस है
वह रखते हैमिजाज नरम अपना¸
तुम्हारा लहजा बता रहा है
तुम्हारी दौलत नई नई है।
खुद से ज्यादा संभाल कर रखता हूं¸
मोबाइल अपना¸
क्योंकि रिश्ते सारे अब इसी में कैद है
तुझ को बेहतर¸ बनाने की कोशिश में¸
मैं तुझको ही वक्त नही दे पा रहा हूं¸
माफ करना ए जिंदगी
तुझको ही जी नही पा रहा हूं।
मैंने तो कहा था¸
कोई और नही है मेरे दिल में¸
देख लिया तोड़ के कोई मिला क्या?
वह मिला ऐसे जैसे
कभी जाएगा ही नही ¸
गया ऐसे जैसे
कभी मिला ही ही।
ठुकरा दो अगर दे कोई
जिल्लत से समंदर¸
इज्जत से जो मिल जाए
वह कतरा ही बहुत है।
वह कभी डरा ही नही
मुझे खोने से से¸
वह क्या अफसोस करेगा
मेरे ना होने से।
अगर किसी से मोहब्बत
बेहिसाब हो जाए¸
तो समझ जाना
वह किस्मत में नही।
पनाह मिल जाए रूह को
जिसका हाथ छूकर¸
उसी हथेली पर घर बना लो।
वक्त रहता नही कहीं टिक्कर¸
आदत इसकी भी आदमी सी है।
दिल में कुछ जलता है¸
शायद धुआं धुआं सा लगता है¸
आंख में कुछ चुभता है¸
शायद सपना कोई सुलगता है¸
तकलीफ खुद ही कम हो गई¸
जब अपनों से उम्मीद कम हो गई।
जब भी यह दिल उदास उदास होता है
जाने कौनआस पास होता है¸
कोई वादा नही किया लेकिन¸
क्यों तेरा इंतजार होता है।
तुम शोर करते हो¸
सुर्खियों में आने के लिए¸
हमारी तो खामोशियां अखबार बनी हुई है।
इतना क्यों क्या सिखाए जा रहे हो जिंदगी¸
हमें कौन सी क्या सदियां गुजारनी है यहां।
लगता है आज जिंदगी कुछ खफा है
चलिए छोड़िए कौन सा क्या पहली दफा है
जिन्हें वाकई बात करना आता है¸
वो लोग अक्सर खामोश रहते है।
तोड़कर जोड़ लो चाहे¸ हर चीज दुनिया की¸
सब कुछ काबिले मरम्मत है एतबार के सिवा।
फासला बढ़ा लिया तुमने¸
मैंने दीवार पक्की कर ली¸
जरा सी गलतफहमी ने देखो
कितनी तरक्की कर ली।
तुम ठहरो ¸
आज वक्त को जाने दो।
बहुत छाले है उसके पैरों में ¸
कमबख्त उसूलों पर चला होगा।
उम्र बढ़ती रहेगी साल घटती रहेंगे
और होती रहेंगे गुफ्तगू हैप्पी बर्थडे टू यू
गुलाम थे तो हम सब हिंदुस्तानी थे¸
आजादी ने हमें हिंदू मुसलमान बना दिया।
एक पुराना मौसम लौटा याद भरी पुरवाई भी¸
ऐसा तो कम ही होता है वह भी हो तन्हाई भी।
वह चीज जिसे दिल कहते है
हम भूल गए है रखकर कहीं।
तुझसे कोई शिकवा शिकायत नही है
जिंदगी तूने जो भी दिया है वही बहुत है।
चुप हो तो पत्थर ना समझना मुझे¸
दिल पर असर हुआ है¸ किसी अपने की बात का।
कुछ ऐसे हो गए है इस दौर के रिश्ते¸
आवाज अगर तुम ना दो तो बोलते वह भी नही।
दिल के रिश्ते हमेशा किस्मत से ही बनते है✧¸
वरना मुलाकात तो रोज हजारों 1000 से होती है।
वह जो सूरत पर सबकी हंसते है¸
उनको तोहफे में एक आईना दीजिए
कुछ शिकायत बनी रहे¸ तो बेहतर है¸
चाशनी में डूबे रिश्ते वफादार नही होते।
कैसे गुजर रही है¸ सब पूछते है¸
कैसे गुजारता हूं कोई नही पूछता ।
तेरी तरह बेवफा निकले मेरे घर के आईने भी¸
खुद को देखूं तेरी तस्वीर नजर आती है।
सच को तमीज ही नही बात करने की¸
झूठ को देखो कितना मीठा बोलता है।