कश्ती है पुरानी मगर दरिया बदल गया,
मेरी तलाश का भी तो जरिया बदल गया,
न शकल बदली न ही बदला मेरा किरदार,
बस लोगों के देखने का नजरिया बदल गया! ?
ज़िंदगी में बार बार सहारा नही मिलता,
बार बार कोई प्यार से प्यारा नही मिलता,
है जो पास उसे संभाल के रखना,
खो कर वो फिर कभी दुबारा नही मिलता! ? ?
वो बेवफा हमारा इम्तेहा क्या लेगी,
मिलेगी नज़रो से नज़रे तो अपनी नज़रे ज़ुका लेगी,
उसे मेरी कबर पर दीया मत जलाने देना,
वो नादान है यारो.. अपना हाथ जला लेगी! ?
चाँद का क्या कसूर अगर रात बेवफा निकली,
कुछ पल ठहरी और फिर चल निकली,
उन से क्या कहे वो तो सच्चे थे शायद,
हमारी तकदीर ही हमसे खफा निकली! ? ?
गमों की मुझ पर कुछ ऐसी नजर हो गई,
जब भी हम हँसे ये आँखे नम हो गई,
हम रोऐ भी तो वो जान ना सके और
वो उदास भी हुऐ तो हमें खबर हो गई! ?
उदास नहीं होना क्योंकि मैं साथ हूँ,
सामने न सही पर आस-पास हूँ,
पल्को को बंद कर जब भी दिल में देखोगे,
मैं हर पल तुम्हारे साथ हूँ..!! ? ?
कल खेल में मैं नहीं रहूँगा
इजहारे मुहब्बत नहीं करुँगा,
आज पल भर सुन लो फसाना मेरा,
कल से कोई गजल मैं नहीं कहूँगा! ??
मोहबत को जो निभाते हैं उनको मेरा सलाम है,
और जो बीच रास्ते में छोड़ जाते हैं उनको,
हमारा ये पेघाम हैं..
वादा-ए-वफ़ा करो तो फिर खुद को फ़ना करो,
वरना खुदा के लिए किसी की ज़िंदगी ना तबाह करो! ?
ज़रा सी ज़िंदगी है, अरमान बहुत हैं,
हमदर्द नहीं कोई, इंसान बहुत हैं,
दिल के दर्द सुनाएं तो किसको,
जो दिल के करीब है, वो अनजान बहुत हैं। ?
वो दर्द ही क्या जो आँखों से बह जाए,
वो खुशी ही क्या जो होठों पर रह जाए,
कभी तो समझो मेरी खामोशी को,
वो बात ही क्या जो लफ्ज़ आसानी से कह जायें! ?
रिश्ता हमारा इस जहां में सबसे प्यारा हो,
जैसे जिंदगी को सांसों का सहारा हो,
याद करना हमें उस पल में..
जब तुम अकेले हो और कोई ना तुम्हारा हो!
ज़रा सी बात देर तक रूलाती रही,
खुशी में भी आँखें आँसू बहाती रही..
कोई खो के मिल गया तो कोई मिल के खो गया,
ज़िंदगी हम को बस ऐसे ही आज़माती रही!
माँ ना होती तो वफ़ा कौन करेगा,
ममता का हक़ भी कौन अदा करेगा,
रब हर एक माँ को सलामत रखना,
वरना हमारे लिए दुआ कौन करेगा! ? ?
हम भी कभी मुस्कुराया करते थे,
उजाले मे भी शोर मचाया करते थे,
उसी दिए ने जला दिया मेरे हाथो को,
जिस दिए को हम हवा से बचाया करते थे! ??
यूँ ही बे-सबब नही बनते भँवर दरिया में,
ज़ख्म कोई तो तेरी रूह में उतरा होगा।
चाह कर भी पूछ नहीं सकते हाल उनका,
डर है कहीं कह ना दे के ये हक तुम्हें किसने दिया। ?
तुम्हारे बिन हमें ये जिन्दगी अच्छी नहीं लगती,
सनम तेरी निगाहों की नमी अच्छी नही लगती,
मुझे हासिल हुई दुनियां की दौलत और ये शोहरत,
मिला सब कुछ मगर तेरी कमी अच्छी नहीं लगती..
जिंदगी सुन्दर हैं पर जीना नही आता,
हर चीज मे नशा हैं, पर पीना नही आता,
सब मेरे बगैर जी सकते हैं,
बस मुझे ही किसी के बीना जीना नही आता!
ओढ़ कर मिट्टी की चादर हम भी सो जायेंगे,
एक़ दिन आयेगा हम भी दास्ताँ हो जाएंगे! ?
उन्हो ने अपने लबो से लगाया और छोड़ दिया,
वे बोले इतना जहर काफी है तेरी कतरा कतरा मौत के लिए! ?
पर्दा गिरते ही खत्म हो जाते हैं तमाशे सारे,
खूब रोते हैं फिर औरों को हँसाने वाले। ?
इस जमाने में वफ़ा की
तलाश ना कर मेरे दोस्त,
वो वक़्त और था जब मकान कच्चे
और लोग सच्चे हुआ करते। ?
चुप रहना ही बेहतर है, जमाने के हिसाब से
धोखा खा जाते है, अक्सर ज्यादा बोलने वाले! ?
कुछ लोग कहते हैं कि बदल गये है हम,
उनको ये नही पता कि अब सभंल गये है हम।
एक चाहत होती है, जनाब अपनों के साथ जीने की,
वरना पता तो हमें भी है कि.. ऊपर अकेले ही जाना है।
सिखा न सकी जो उम्र भर
तमाम किताबे मुझे..
करीब से कुछ चेहरे पढे
और न जाने कितने.. सबक सीख लिए। ?
वक़्त तो अब लफ़्ज़ों में दिया जाता है,
रूबरू तो महज दिखावा किया जाता है। ?
दुआएँ जमा करने में लग जाओ साहब,
खबर पक्की है दौलत और
शोहरत साथ नहीं जायेंगे। ??
शायद मैं इसीलिए पीछे हूं,
मुझे होशियारी नही आती,
बेशक लोग ना समझे मेरी वफादारी,
मगर यारो मुझे गद्दारी नही आती।
सिखा दिया दुनिया ने मुझे अपनो पर भी शक करना
मेरी फितरत में तो गैरों पर भी भरोसा करना था! ?
किसी के पास सब कुछ हो,
तो जलती है दुनियाँ,
किसी के पास कुछ ना हो,
तो हँसती है दुनियाँ,
लेकिन मेरे पास तो मेरे माँ-बाप है,
जिसके लिए तरसती है दुनियाँ!
कदर कर लो उनकी जो तुमसे,
बिना मतलब की चाहत करते है,
दुनिया मे ख्याल रखने वाले कम,
और तकलीफ देने वाले ज्यादा होते है!
क्या वजह होगी, अब फिर यहां लौट आने की..
इन नुक्कड़ों पे रुकने की,
इन गलियों के चक्कर लगाने की..
अब तो ना तू मेरी है, ना ही अब ये शहर मेरा..
ना इच्छा अब कुछ सुनने की
और ना ही कुछ बताने की..!! ???
कोई खुशियों की चाह में रोया,
कोई दुखों की पनाह में रोया,
अजीब सिलसिला हैं ये “ज़िंदगी” का..
कोई भरोसे के लिए रोया,
कोई भरोसा कर के रोया!! ??
बिन बात के ही रूठने की आदत है,
किसी अपने का साथ पाने की चाहत है,
आप खुश रहें.. मेरा क्या है..
मैं तो आइना हूँ, मुझे तो टूटने की आदत है! ?
अगर तुम मुझे सलीके से तोड़ती,
तो मेरे टुकड़े भी तुम्हारे काम आते।
तुम्हारे पास तो फिर भी तुम हो,
मेरे पास तो… मैं भी नहीं।
अच्छे होते हैं बुरे लोग,
अच्छा होने का दिखावा नहीं करते।
किताबें भी बिल्कुल मेरी तरह हैं
अल्फ़ाज़ से भरपूर मगर खामोश।
वो मुस्कान थी कहीं खो गयी,
और मैं जज्बात था कहीं बिखर गया।
क्या हुआ अगर तन्हाई से दोस्ती कर ली मैंने,
बेशक वो मुझसे बेवफाई तो नहीं करेगी।
तुमने कहा था हर शाम हाल पूछा करेंगे,
बदल गए हो या तुम्हारे यहाँ शाम नहीं होती।
प्यार-ओ-उल्फ़त वफ़ा हमदर्दी मोहब्बत ये सब,
कौन हैं दुनिया में अब इन को निभाने वाले।
गीली लकड़ी सा इश्क तुमने सुलगाया है,
न पूरा जल पाया कभी न ही बुझ पाया है।
मरना भी मुश्किल है जिस शख्श के वगैर,
उस शख्स ने ख्वाबों में भी आना छोड़ दिया।
हम तो बने ही थे तबाह होने के लिए,
तेरा छोड़ जाना तो महज़ बहाना बन गया।
खुश किस्मत होते है वो जो
तलाश बनते है किसी की,
वरना पसंद तो कोई भी
किसी को भी कर लेता है।
ये नज़र चुराने की आदत
आज भी नहीं बदली उनकी,
कभी मेरे लिए ज़माने से और
अब ज़माने के लिए हमसे।
ख्वाहिश तो थी मिलने की
पर कभी कोशिश नहीं की,
सोचा जब खुदा माना है उसको
तो बिन देखे ही पूजेंगे।
शायद तेरा नज़रिया मेरे नज़रिये से अलग था,
तुझे वक्त गुज़ारना था और मुझे जिन्दगी।