सच्चे रिश्तों की ये गहराइयाँ तो देखिये,
चोट लगती है हमें और चिल्लाती है माँ,
हम खुशियों में माँ को भले ही भूल जायें,
जब मुसीबत आ जाए तो याद आती है माँ।
नहीं हो सकता कद तेरा ऊँचा
किसी भी माँ से ऐ खुदा,
तू जिसे आदमी बनाता है,
वो उसे इंसान बनाती है।
किसी भी मुश्किल का अब
किसी को हल नहीं मिलता,
शायद अब घर से कोई
माँ के पैर छूकर नहीं निकलता।
वो डांट डांट कर खाना
खिलाना याद आता है,
मेरे वास्ते तेरा
पैसा बचाना याद आता है।
माँ मेरी खातिर तेरा
रोटी पकाना याद आता है,
अपने हाथों को
चूल्हे में जलाना याद आता है।
तेरे दामन में सितारे हैं
तो होंगे ऐ फलक,
मुझको मेरी माँ की
मैली ओढ़नी अच्छी लगी।
कभी मुस्कुरा दे तो लगता है
ज़िंदगी मिल गयी मुझको,
माँ दुखी हो तो दिल मेरा भी
दुखी हो जाता है।
जब-जब कागज पर लिखा
मैंने माँ का नाम,
कलम अदब से बोल उठी
हो गये चारों धाम।
सख्त राहों में भी
आसान सफ़र लगता है,
ये मेरी माँ की दुआओं का
असर लगता है।
बद्दुआ संतान को इक
माँ कभी देती नहीं,
धूप से छाले मिले जो
छाँव बैठी है सहेज।
माँ पहले आँसू आते थे तो
तुम याद आती थी,
आज तुम याद आती हो
और आँसू निकल आते है।
ऐ अँधेरे देख मुँह
तेरा काला हो गया,
माँ ने आँखें खोल दी
घर में उजाला हो गया।
वो लिखा के लाई है
किस्मत में जागना,
माँ कैसे सो सकेगी कि
बेटा सफ़र में है।
सीधा साधा भोला भाला मैं ही
सब से सच्चा हूँ,
कितना भी हो जाऊं बड़ा माँ
आज भी तेरा बच्चा हूँ।
यूँ तो मैंने बुलन्दियों के
हर निशान को छुआ,
जब माँ ने गोद में उठाया तो
आसमान को छुआ।
चलती फिरती आँखों से
अज़ाँ देखी है,
मैंने जन्नत तो नहीं देखी है
माँ देखी है।
सर पर जो हाथ फेरे
तो हिम्मत मिल जाये,
माँ एक बार मुस्कुरा दे
तो जन्नत मिल जाये।