कब तक रह पाओगे आखिर यूँ दूर हमसे,
मिलना पड़ेगा कभी न कभी जरुर हमसे,
नजरें चुराने वाले ये बेरुखी है कैसी,
कह दो अगर हुआ है कोई कसूर हमसे।
हर वक़्त तुमको याद करता हूँ,
हद से ज्यादा तुम्हे प्यार करता हूँ,
क्यों तुम मुझसे खफा बैठे हो,
मैं एक तुम्हीं पर तो मरता हूँ।
गलती तो हो गयी है,
अब क्या मार डालोगे?
माफ़ भी कर दो ऐ सनम,
ये गलफहमी कब तक पालोगे?
तुम दुआ हो मेरी सदा के लिए,
मैं जिंदा हूँ तुम्हारी दुआ के लिए,
कर लेना लाख शिकवे हमसे,
मगर कभी खफा न होना खुदा के लिए।
आज मैंने खुद से एक वादा किया है,
माफ़ी मंगुगा तुझसे तुझे रुसवा किया है,
हर मोड़ पर रहूँगा मैं तेरे साथ साथ,
अनजाने में मैंने तुझको बहुत दर्द दिया है।
बहुत उदास है कोई शख्स तेरे जाने से,
हो सके तो लौट के आजा किसी बहाने से,
तू लाख खफा हो पर एक बार तो देख ले,
कोई बिखर गया है तेरे रूठ जाने से।
सॉरी कहने का मतलब है,
कि आपके लिए दिल में प्यार है,
अब जल्दी से हमे माफ़ कर दो ऐ सनम,
सुना है आप बहुत समझदार हैं।
रिश्तों में दूरियां तो आती-जाती रहती हैं,
फिर भी दोस्ती दिलो को मिला देती है,
वो दोस्ती ही क्या जिसमे नाराजगी न हो,
पर सच्ची दोस्ती दोस्तों को मना ही लेती है।
हमसे कोई खता हो जाये तो माफ़ करना,
हम याद न कर पाएं तो माफ़ करना,
दिल से तो हम आपको कभी भूलते नहीं,
पर ये दिल ही रुक जाये तो माफ़ करना।
हो सकता है हमने आपको कभी रुला दिया,
आपने तो दुनिया के कहने पे हमें भुला दिया,
हम तो वैसे भी अकेले थे इस दुनिया में,
क्या हुआ अगर आपने एहसास दिला दिया।
नाराज क्यूँ होते हो किस बात पे हो रूठे,
अच्छा चलो ये माना तुम सच्चे हम ही झूठे,
कब तक छुपाओगे तुम हमसे हो प्यार करते,
गुस्से का है बहाना दिल में हो हम पे मरते।
हम रूठे भी तो किसके भरोसे रूठें,
कौन है जो आयेगा हमें मनाने के लिए,
हो सकता है तरस आ भी जाये आपको,
पर दिल कहाँ से लायें आपसे रूठ जाने के लिये।
तुम खफा हो गए तो कोई ख़ुशी न रहेगी,
तुम्हारे बिना चिरागों में रोशनी न रहेगी,
क्या कहे क्या गुजरेगी इस दिल पर,
जिंदा तो रहेंगे पर ज़िन्दगी न रहेगी।
दिल से तेरी याद को जुदा तो नहीं किया,
रखा जो तुझे याद कुछ बुरा तो नहीं किया,
हम से तू नाराज़ हैं किस लिये बता जरा,
हमने कभी तुझे खफा तो नहीं किया।
खता हो गयी तो फिर सज़ा सुना दो,
दिल में इतना दर्द क्यूँ है वजह बता दो,
देर हो गयी याद करने में जरूर,
लेकिन तुमको भुला देंगे ये ख्याल मिटा दो।
न तेरी शान कम होती न रुतबा ही घटा होता,
जो गुस्से में कहा तुमने वही हँस के कहा होता।
देखा है आज मुझे भी गुस्से की नज़र से,
मालूम नहीं आज वो किस-किस से लड़े है।