मंजर भी बेनूर थे
और फिजायें भी बेरंग थी,
तुम्हारी याद आयी और
मौसम सुहाना हो गया।।
जब इंसान की फितरत बदल रही हो तो
ये जरुरी नहीं की इंसान बदल गया,
हो सकता है बाहर का मौसम बदल रहा हो।।
रिमझिम बरस पड़े हो तुम तो फुहार बन के
आया है अब तो मौसम कैसा खुमार बन के
मेरे दिल में यूँहीं रहना तुम प्यार प्यार बन के।।
दिल की बाते कौन जाने,
मेरे हालात को कौन जाने,
बस बारिश का मौसम है।
पर दिल की ख्वाहिश कौन जाने,
मेरी प्यास का एहसास कौन जाने?
मौसम की पहली बारिश में तुम मिले इस तरह
जैसे धरती मिल गई हो आसमान से
जैसे बूँदों ने पहली बार किया हो ।
आलिंगन माटी के सीने से और उसी माटी की सौंधी
खुशबू की तरह फैल रहा है हर तरफ प्यार तेरा।।
आज मौसम कितना खुश गंवार हो गया
ख़त्म सभी का इंतज़ार हो गया।
बारिश की बूंदे गिरी इस तरह से
लगा जैसे आसमान को ज़मीन से प्यार हो गया।।
यूँ ही शाख से पत्ते गिरा नहीं करते,
बिछड़ के लोग भी ज्यादा जिया नहीं करते।
जो आने वाले हैं मौसम उनका एहतराम करो,
जो दिन गुजर गए उनको गिना नहीं करते।।
जिसके आने से मेरे जख्म भरा करते थे,
अब वो मौसम मेरे जख्मों को हरा करता है।
मौसम की मिसाल दूँ या नाम लूँ तुम्हारा,
कोई पूछ बैठा है बदलना किसको कहते हैं।
बारिश का ये मौसम कुछ याद दिलाता है,
किसी के साथ होने का एहसास दिलाता है,
फिजा भी सर्द है यादें भी ताजा हैं,
ये मौसम किसी का प्यार दिल में जगाता है।
दिल की बातें कौन जाने,
बस बारिश का मौसम है,
कम से कम अपनी जुल्फे तो बाँध लिया करो।
कमबख्त. बेवजह मौसम बदल दिया करते हैं।।
जो आना चाहो हज़ारों रास्ते
न आना चाहो तो हज़ारों बहाने।
मिज़ाज-ऐ-बरहम , मुश्किल रास्ता
बरसती बारिश और ख़राब मौसम।।